Bhagavat Prapti Kathin Nahi Book in PDF Download
Importance of performing bhajan - Above all, the most important thing is that there should be the best treatment. There should be service with everyone, that is, comfort should be given to others. Service among us is very less. Service is the real wealth, we are very lacking in it.
Often people go to their respective homes and get stuck in other things. Whatever should be done here, according to whatever means are done here, the means should also be done at home. Staying here for two months should also try at home with whatever means. Whatever you heard in satsang, you should do the same for ten months at home. Just as a reader reads an hour and meditates for three to four hours, similarly, learning here should be done for ten months. For the work for which we have been born, we should try to complete that work within a year. It should be thought that God has a hand on my head, so to do that, hope should be placed on God. One should be very successful with the help of God. What is the concern of the owner then what is the concern. Being fearless, instrument should be done with readiness.
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भगवत्प्राप्तिन कठिन नहीं किताब करें पीडीएफ में डाउनलोड
दोष त्याग करके भजन करने का महत्त्व - सबसे बढ़कर महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सबसे बहुत उत्तम बर्ताव होना चाहिये। सबके साथ सेवाभाव होना चाहिये यानि दूसरेको आराम पहुँचाना चाहिये। हमलोगों में सेवाभाव बहुत कम है। सेवा ही असली धन है, इसकी हमलोगोंमें बहुत कमी है।
प्रायः लोग अपने-अपने घर जाकर दूसरे दूसरे कामोंमें फँस जाते हैं। ऐसा न करके जो कुछ भी साधन यहाँ करते हैं, उसके अनुसार घरपर भी साधन करना चाहिये। यहाँ दो महीने रहकर जो कुछ साधन किया, उससे घरपर भी प्रयत्न करना चाहिये । सत्संगमें जो बातें सुनी, घरपर दस महीने रहकर उसीका साधन करना चाहिये। जैसे पढ़नेवाला एक घंटा पढ़कर तीन चार घंटे उसका मनन करता है, इसी प्रकार यहाँ सीखकर दस महीने साधन करना चाहिये। जिस कामके लिये हमलोगोंका जन्म हुआ है उस कामको एक सालके भीतर ही पूरा करने के लिये प्राणपर्यन्त चेष्टा करनी चाहिये। यह सोचना चाहिये कि परमेश्वरका मेरे सिरपर हाथ है, इसलिये उसको करनेके लिये परमेश्वरपर आशा रखनी चाहिये । परमेश्वरकी सहायता पाकर विशेष सफल होना चाहिये। मालिककी दया है फिर क्या चिन्ता है। निर्भय होकर तत्परताके साथ साधन करना चाहिये ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
भगवत्प्राप्तिन कठिन नहीं | Bhagavat Prapti Kathin Nah | |
Geeta Press | |
धार्मिक / Religious |
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