मन्त्रशक्ति एवं उपासना रहस्य | Mantrashakti And Upasana Rahasya PDF in Hindi

मन्त्रशक्ति एवं उपासना रहस्य | Mantrashakti And Upasana Rahasya PDF Book Download Free



  

Mantrashakti And Upasana Rahasya Hindi Book in PDF Download

Mantra Shakti and Worship Secrets

Guruganapatindurgabagatukam Shivamachyutam. Brahman Girijanalakshmi Vani Vande Vibhutiye.

Exploration - Mantras are a very deep subject. Minister Eloquent The mantra itself is a form of God. Shrunudevi Pravakshyami Byzanandaruparatam. Chanting mantramtren devroopampprajayate bridhdharvatantra. Each varna is a mantra, a divine form, a Brahman form, everything is in it. God is infinitely infinite, Hariyanant Harikatha Ananta, it is not a matter of one's ability to write the complete form of this non-eternal God. But this does not mean that one should give up its description, do not praise them.

The perfection of God can be proved only when we are a small part of that whole, we are also a small part, a small part in that vast. It has been said in the Gita that mamavansho jeevlok jeevabutva Sanatan, so we too are part of that importance, it is our body The water can be anywhere, Yen Ken Rupen is from the sea. As such, we are also the smallest 'of that eternal.

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मंत्रशक्ति एवं उपासना रहस्य

गुरूगणपतिंदुर्गाबटुकं शिवमच्युतम्। ब्रह्माणं गिरिजांलक्ष्मीं वाणीं वन्देविभूतये ।।

प्ररोचना - मन्त्रशास्त्र अति गहन विषय हैं। मंत्रार्थदेवतारूपं चिन्तनं परमेश्वरि । वाच्यवाचकभावेन अभेदोमन्त्रदेवयोः शाक्तानंद तरंगिणी ॥ मन्त्र स्वयं ही परमात्माका स्वरूप है। शृणुदेवि प्रवक्ष्यामि बीजानांदेवरूपताम् । मन्त्रोच्चारणमात्रेण देवरूपंप्रजायते बृहद्वंधर्वतंत्र । प्रत्येक वर्ण मन्त्र है, परमात्म स्वरूप है, ब्रह्मरूप है, सब कुछ उसमें है। परमात्मा तो अनादि अनंत है, हरिअनंत हरिकथा अनंता इस अखण्डानन्त परमात्मा के पूर्णरूपका आलेखन करना किसीके सामर्थ्य की बात नहीं है। किन्तु इसका अर्थ यह तो नहीं कि इसका वर्णन त्याग दे, उनकी स्तुति न करें।

परमात्मा की पूर्णता तब ही सिद्ध हो सकती है, जब हम उस पूर्ण का कोई छोटासा हिस्सा हो, हम भी उस विराट में समाये हुए एक अंश हो, एक छोटा-सा हिस्सा हो । गीता में कहा है ममैवांशो जीवलोके जीवभूत सनातन अतः हम भी उस महत्त्व का अंश ही है, वो हमारा अंशी है। जल का स्वल्प भाग कहीं पर भी हो, येन केन रूपेण आया तो समुद्र से ही है। यथा उस अनन्त का हम भी सूक्ष्मतम 'है।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

मन्त्रशक्ति एवं उपासना रहस्य | Mantrashakti And Upasana Rahasya

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

 पंडित परन्तप प्रेमशंकर (सिद्धपुर)

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  9 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 188

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Tantra-Mantra,



 


 


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