संध्या उपासना विधि तर्पण एवं बलि वैश्वदेवविधि इन हिंदी | Sandhyopasan Vidhi Tarpan Evam Bali Vaishvadeva Vidhi PDF Download Free
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ब्राह्म मुहूर्तमें जब चार घड़ी रात बाकी रहे, शयनसे उठकर भगवान्का स्मरण करे; फिर शौच-स्नानके अनन्तर शुद्ध वस्त्र धारण करके पवित्र तथा एकान्त स्थानमें कुश अथवा कम्बल आदिके आसनपर पूर्व, ईशान अथवा उत्तर दिशाकी ओर मुँह करके बैठे। [ तीनों कालकी संध्या में उपर्युक्त दिशाओंकी ओर ही मुँह करके बैठना चाहिये, केवल सूर्यार्घ्यदान, सूर्योपस्थान और गायत्रीजप सूर्याभिमुख होकर करना आवश्यक है।] बायें हाथमें तीन कुश और दायें हाथमें दो कुशोंकी बनी हुई पवित्री ॐ पवित्रे स्थो वैष्णव्यौ० '१ इस मन्त्रसे धारण करे। कुशके अभावमें सोने, चाँदी अथवा ताँबेकी अँगूठी पहनकर भी कार्य किया जा सकता है। ॐ कार और व्याहृतियोंसहित गायत्री मन्त्रका उच्चारण करके शिखा बाँध ले, यदि पहलेसे ही शिखा बँधी हो तो उसका स्पर्शमात्र कर ले । एक जोड़ा शुद्ध यज्ञोपवीत २ धारण किये रहना आवश्यक है। sandhyavandanam vidhi gita press, संध्या उपासना विधि तर्पण एवं बलि वैश्वदेवविधि PDF Free download, sandhyopasana vidhi pdf download, geeta press gorakhpur tarpan vidhi, वैदिक संध्या विधि pdf, संध्या विधि pdf, sandhyopasana vidhi pdf download, sandhyavandanam vidhi gita press.
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