निराशा को पास न फटकने दें इन हिंदी | Niraasha Ko Paas Na Phatakne Dein PDF Download Free
Niraasha Ko Paas Na Phatakne Dein Book in PDF Download
Don't let despair pass you by, the joy of living will be found with enthusiasm
Inspite of incomparable splendor, infinite wealth and innumerable facilities, the life of a hopeless person is equal to weight in this world. Despair is a great disease that destroys all the spiritual and mental powers of a person. There is no joy in a life without hope, joy and enthusiasm. Despair is described as a sin in the scriptures. What can be the use of despair that does not bring joy to oneself, and others do not get any happines
Enthusiasm is the main force with which the construction works of human life are completed. This awakens creative tendencies and opens the way to success. Through enthusiasm, people find the path of self-promotion even in small means and in bad circumstances. Valmiki is a subhashita of Ramayan
Enthusiasm balavanarya nastyutsahatparam balam. Sotsahasya trilokeshu na kinchidpi raream That is, "O Arya! There is great power in enthusiasm, there is no other force than enthusiasm. Nothing is rare in the world for an enthusiastic person.
No matter what the task is, enthusiasm is definitely needed to complete it. There is no success in working without getting discouraged. If you want to make your life successful, then you have to be passionate about your purpose, try to achieve it with all your might."as?
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निराशा को पास न फटकने दें जीने का आनन्द उत्साह से मिलेगा
अतुलित वैभव, अनन्त धन और अगणित सुविधाओं के होते हुए भी निराश-व्यक्ति का जीवन इस संसार में भारतुल्य ही होता है । निराशा महा व्याधि है जो व्यक्ति की सम्पूर्ण आध्यात्मिक तथा मानसिक शक्तिओं को नष्ट करके रख देती है । आशा, उल्लास और उत्साह विहीन जीवन में आनन्द नहीं आता । निराशा को शास्त्रों में पाप बताया गया है। जिससे स्वयं को आनन्द न मिले, औरों को भी कुछ प्रसन्नता न मिले उस निराशा से आखिर फायदा भी क्या हो सकता है ?
उत्साह उनमें जिन शक्तियों से मनुष्य जीवन के निर्माण कार्य पूरे होते हैं, प्रमुख है । इससे रचनात्मक प्रवृत्तियाँ जागती हैं और सफलता का मार्ग खुलता है । उत्साह के द्वारा स्वल्प साधन और बिगड़ी हुई परिस्थितियों में भी लोग आत्मोन्नति का मार्ग निकाल लेते हैं । बाल्मीकि रामायण का एक सुभाषित है
उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम् । सोत्साहस्य त्रिलोकेषु न किञ्चिदपि दुर्लभम् ॥ अर्थात्-" हे आर्य ! उत्साह में बड़ा बल होता है, उत्साह से बढ़कर अन्य कोई बल नहीं है । उत्साही व्यक्ति के लिये संसार में कोई वस्तु दुर्लभ नहीं है।"
कार्य कैसा भी क्यों न हो उसे पूरा करने के लिये उत्साह जरूर चाहिये । निरुत्साहित होकर काम करने में कभी सफलता नहीं मिलती। आप अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हों तो आपको अपने उद्देश्य के प्रति उत्साही बनना पड़ेगा, अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य से उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करना होगा ।
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