उतावली न करें उद्विग्न न हों | Utavali Na Karein Udvign Na Ho Book PDF in Hindi

उतावली न करें उद्विग्न न हों | Utavali Na Karein Udvign Na Ho Book PDF Download

Utavali Na Karein Udvign Na Ho Book in PDF Download

 Don't be hasty, don't get upset, what is the use of this haste

The evil of impatience and impatience troubles man badly. Often we are very quick in everything, do not want to spend as much time and effort as is necessary in the work, we want to see the success of the desired aspiration very quickly. The banyan tree wants some time to reach the stage from growing to fruiting, but where is the patience for the children who see the mustard frozen on the palm? This disease of impatience has badly entered the minds of the people and people want to find such a way to fulfill their aspirations, which does not require necessary effort and like magic their wish gets fulfilled immediately

People leave the highway and look for the trail, as a result they get lost in thorns. Mustard accumulates on the palm, but no one could fill that mustard oil box, the jugglers make money out of sand, but they cannot buy property with that money, a paper palace can be built, but while living in it, there is a need to cut life. Who can fulfill the wish? How long does a sand wall las

It is possible to reach the goal of happiness and peace only by walking on the highway of righteousness and virtue. This path is so straight that there is no scope for shortcuts, trails.t?y.

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उतावली न करें, उद्विग्न न हों इस जल्दबाजी से क्या फायदा

आतुरता और अधीरता की बुराई मनुष्य को बुरी तरह परेशान करती हैं। प्रायः हमें हर बात में बहुत जल्दी रहती है, जिस कार्य में जितना समय एवं श्रम लगना आवश्यक है उतना नहीं लगाना चाहते, अभीष्ट आकांक्षा की सफलता तुर्त फुर्त देखना चाहते हैं। बरगद का पेड़ उगने से लेकर फलने-फूलने की स्थिति में पहुँचने के लिए कुछ समय चाहता है पर हथेली पर सरसों जमी देखने चाले बालकों को इसके लिए धैर्य कहाँ? यह आतुरता की बीमारी जन-समाज के मस्तिष्कों में बुरी तरह प्रवेश कर गई है और लोग अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ऐसा रास्ता ढूंढ़ना चाहते हैं, जिससे आवश्यक प्रयत्न न करना पड़े और जादू की तरह उनकी मनोकामना तुरंत पूरी हो जाए।

राजमार्ग छोड़कर लोग पगडंडी तलाश करते हैं, फलस्वरूप वे काँटों में भटक जाते हैं। हथेली पर सरसों जम तो जाती है पर उस सरसों का तेल डिब्बे में कोई नहीं भर पाया बाजीगर रेत का रुपया बनाते हैं पर उन रुपयों से जायदाद नहीं खरीद पाते कागज का महल खड़ा तो किया जा सकता है पर उसमें निवास करते हुए जिंदगी काट लेने की इच्छा कौन पूरी कर पाता है ? रेत की दीवार कितने दिन ठहरती है ?

सुख-शांति के लक्ष्य तक धर्म और सदाचार के राजमार्ग पर चलते हुए पहुँच सकना ही संभव है। यह रास्ता इतना सीधा है कि इसमें शार्टकट की, पगडंडी की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई। 

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

उतावली न करें उद्विग्न न हों | Utavali Na Karein Udvign Na Ho PDF

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

श्रीराम शर्मा आचार्य / Shriram Sharma Acharya

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

Hindi

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

2 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 34

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Adhyatm


 


 


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