Saraswat Kundalini Mahayoga Book in PDF Download
This great scripture is adorned with very supernatural glory. The learnings that have come out under it are all great divine, are hidden, are lost, are full of many mysteries. These disciplines had disappeared in the people. Mother Saraswati herself has said from place to place that the knowledge of these Vidyas has been lost and hidden in the world for a long time and these Vidyas are being revealed for the welfare of the people. This Mahashastra has great divine significance for the seekers who have been initiated into Shaktipat Mahayoga. For Mahayoga seekers, this weapon is life-loving. This Mahashastra is himself a single guru for yoga-seekers. After receiving initiation in Shaktipat, various types of inequalities, complications, fallbacks and many obstacles come in front of the seeker. In this scripture, all types of resistance, obstacles, whether they are physical, mental, intellectual and mental, easy and easy ways to remove them have been given. All kinds of obstacles in the path of Mahayoga Sadhak are removed by mere perusal of this scripture, I Saraswati and Guru Gorakhnath Maharaj have given their divine blessings from free groin to the followers of this scripture in every case and great glory of the scripture. The cow is We do not have the capacity to praise and praise this great scripture from our side. What will the lamp do in the sun? This great scripture is automatically resplendent, successful and full of omnipotence by its nectar-mayi divine glory.
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यह महाशास्त्र अत्यन्त अलौकिक महमा से मंडित है। इसके अन्तर्गत निकलो हुई विद्याएं सभी महादिव्य है, गुप्ठ है, लुप्त है, नाना रहस्यों से भरी है। लोक में इन विद्याओं का लोप हो गया था। माँ सरस्वती ने स्थान-स्थान पर स्वयं यह कहा है कि इन विद्याओं का ज्ञान बहुत काल से लोक में लुप्त और गुप्त है तथा लोक-कलयाण के लिये इन विद्याओं को प्रकट किया जा रहा है। शक्तिपात महायोग में दीक्षित हुए साधकों के लिये इस महाशास्त्र का बड़ा दिव्य पहता है। महायोग साधकों के लिये तो यह शस्त्र प्राणप्रिय है। यह महाशास्त्र योग-साधकों के लिये स्वयं एकान्ततः गुरु हो है। शक्तिपात में दीक्षा प्राप्त करके साधक के सम्मुख नाना प्रकारको विषमतायें, जटिलतायें, पातप्रतिपात तथा अनेको विघ्नबाधाये आया करती हैं। इस शास्त्र में सब प्रकार के प्रतिरोध, विघ्नबाधायें चाहे वे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और चित्तन हो क्यों न हो उनके दूर करने के सरल सुलभ उपाय बता दिये गये हैं। महायोगसाधक की समस्त प्रकार की प्रान्तियों मार्ग-रोध इस शास्त्र के अनुशीलन मात्र से दूर हो जाती है, म सरस्वती ने तथा गुरु गोरखनाथ महाराज ने प्रत्येक प्रकरण में इस शास्त्र के अनुशीलन कर्ताओं को मुक्त कण्ठ से अपना दिव्य आशीवाद दिया है और शास्त्र की बड़ी महिमा गाई है। अपनी ओर से इस महाशास्त्र की प्रशंसा और स्तुति करने की क्षमता हममें नहीं है। सूर्य के में दीपक क्या करेगा। यह महाशास्त्र अपनी अमृतमयी दिव्यमहिमा से स्वतः स्वयं देदीप्यमान यशस्थ तथा सर्वमर्थ्य सम्पन्न है।
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सारस्वत कुण्डलिनी महायोग | Saraswat Kundalini Mahayoga PDF | |
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