श्री कालिका पुराण इन हिंदी | Shri Kaalika Puran PDF Download Free
Shri Kaalika Puran Book in PDF Download
One who recites this Kalika Purana even once, he attains immortality, that is, divinity, after attaining all desires. Due to which this excellent Purana written in the temple is always situated, O Dwijo! He is never obstructed by the Puranas that always remain, O Dwijo! He was never disturbed. One who studies it every day in secret that it is the ultimate system. O best of two! He has studied all the Vedas here. For this reason there is nothing more than this. The prodigal man becomes grateful by its study.
A person who studies and listens to it becomes extremely happy and strong in the world and also has a long life. One who constantly follows the world and is the destroyer in the end. It is full of illusion or delusion, it is my own form, so salutations to him. In the heart of the yogis, who is the head of the Prapancha, the lord of the Puranas, Lord Vishnu, and that Lord Shiva be pleased with all of you. I eulogize and salute the Purana Purush, who is the Puran Purush, who is the Eternal and Eternal God, who is the doer of the Puranas and is worthy to be known through the Vedas and the Puranas. The one who specially remembers the whole world in this way, who is tempting even Madhuripu, whose form is Rama, and in the form of Shiva, who makes Lord Shankar happy, Maya distributes your glory and good luck. Do.
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जो एक बार भी इस कालिका पुराण का पाठ करता है वह सभी कामनाओं को प्राप्त करके अमृतत्व अर्थात् देवत्य को प्राप्त किया करता है । जिससे मन्दिर में यह लिखा हुआ उत्तम पुराण सदा स्थित रहता है, हे द्विजो! उसको कभी विघ्न नहीं होता जो पुराण सदा स्थित रहता है, हे द्विजो! उसको कभी विघ्न नहीं होता। जो प्रतिदिन इसका गोपनीय अध्ययन करता है जे कि यह परम तन्त्र है । हे द्विज श्रेष्ठों! उसने यहाँ पर ही सम्पूर्ण वेदों क अध्ययन कर लिया है । इस कारण से इससे अधिक अन्य कुछ भी नहीं है । विलक्षण पुरुष इसके अध्ययन से कृतकृत्य हो जाता है।
इसके अध्ययन तथा श्रवण करने वाला पुरुष परम सुखी तथा लोक में बलवान् और दीर्घ आयु वाली भी हो जाता है। जो निरन्तर लोक का पालन करता है और अन्त में विनाश करने वाला है। यह सम्पूर्ण भ्रम या अभ्रम से युक्त है मेरा ही स्वरूप है, अतएव उसके लिए नमस्कार है। योगियों के हृदय में जिसका प्रपञ्च प्रधान पुरुष है, जो पुराणों के अधिपति भगवान् विष्णु और वह भगवान् शिव आप सबके ऊपर प्रसन्न हों । जो उग्र हेतु है, पुराण पुरुष है, जो शाश्वत तथा सनातन रूप ईश्वर है, जो पुराणों का करने वाला और वेदों तथा पुराणों के द्वारा जानने के योग्य है उस पुराण शेष के लिए मैं स्तवन करता हूँ और अभिवादन करता हूँ । जो इस प्रकार से समस्त जगत् का विशेष रूप से स्मरण किया करती है, जो मधुरिपु को भी मोह कर देने वाली हैं, जिसका स्वरूप रमा है और शिवा के स्वरूप से जो भगवान् शंकर का रमण कराया करती है माया आपके विभव को और शुभों को वितरित करे।
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श्री कालिका पुराण | Shri Kaalika Puran PDF | |
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