वृद्ध- वसिष्ठसंहिता द्वितीयो भाग: इन हिंदी | Vriddha Vasishtha Samhita Vol 2 PDF Download Free
Vriddha Vasishtha Samhita Vol 2 Book in PDF Download
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Kaal and Ishwarah Sakshadishvarah Kaal and Sah. Vidyate Chesvargyani Chetkalgyah s ev vai41॥1॥
In this way, various qualities and defects of time have been described in detail. Some such important formulations have been described and are rare elsewhere. For example - Vardhamana, conch shell, padma, nectar, anand etc. All these yogas are described on the basis of day and constellations. Similarly, according to the position of the planets, Dhurjati, Gunabhaskar, Gunakaustubh etc. have been given many yogas. Apart from these, there are separate chapters related to many subjects like Rajabhishek, Gajarishta, Asvarishta, eclipse peace etc.
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प्रस्तुत संस्करण उत्तरार्द्ध में २४ वे अध्याय से अन्तिम ४६वें अध्याय तक का समावेश है। इससे पूर्व के २३ अध्याय पूर्व भाग में प्रकाशित हो चुके हैं। उत्तरार्द्ध में अनेक व्यवहारोपयोगी विषय होने से इसका महत्त्व बढ़ गया है। आधान से विवाह पर्यन्त प्रायः प्रमुख संस्कारों से सम्बन्धित काल निर्णय इसी भाग में दिये गये हैं। कार्यानुसार उचित काल निर्णय ज्योतिषशास्त्र का महत्वपूर्ण प्रतिपाद्य विषय रहा है। काल के महत्व को बतलाते हुये संहिता के उत्तर भाग में लिखा है
काल एव ईश्वरः साक्षादीश्वरः काल एव सः । विद्यते चेश्वरज्ञानी चेत्कालज्ञः स एव वै॥४१॥१॥
इस प्रकार काल के विभिन्न गुण एवं दोषों का विस्तृत निरूपण किया गया है। कुछ ऐसे महत्वपूर्ण योगों का वर्णन किया गया है तो अन्यत्र दुर्लभ हैं। यथा - वर्द्धमान, शंख, पद्म, अमृत, आनन्द आदि। ये सभी योग दिन और नक्षत्रों के योग के आधार पर वर्णित हैं। इसी प्रकार ग्रहों की स्थिति के अनुसार धूर्जटि, गुणभास्कर, गुणकौस्तुभ आदि अनेक योग बताये गये हैं। इनके अतिरिक्त राजाभिषेक, गजारिष्ट, अश्वारिष्ट, ग्रहण शान्ति आदि अनेक विषयों से सम्बन्धित पृथक्-पृथक् अध्याय हैं।
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