आज का विकासात्मक मनोविज्ञान इन हिंदी | Aaj Ka Vikasatmak Manovigyan PDF Download Free
Aaj Ka Vikasatmak Manovigyan Book in PDF Download
Turning the pages of history, it is known that the history of developmental psychology begins from the time when humans appeared on this earth. Under developmental psychology, the psychologist studies various aspects of human development from the time of conception to the time of death. From conception to death, what changes and developments are reflected in humans, its proper study is the subject of developmental psychology. Since developmental psychology is an unrealistic science, it studies the child as he lives in it. None of his behavior is considered good or bad and his development is gradual, regular and all-round. Passing through many stages from conception to death, the development of physical, emotional, cognitive, moral, intellectual, spiritual, etc. Developmental psychology studies all these aspects. In the words of Astu Harlock (1968), development psychology is that branch of psychology which studies the development of human beings from conception to death with special attention to the changes occurring in different stages of life.
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प्रस्तुत पुस्तक इतिहास के पृष्ठों को पलटने से यह पता चलता है कि विकासात्मक मनोविज्ञान का इतिहास उसी समय से प्रारम्भ होता है जबसे इस पृथ्वी पर मानव का प्रादुर्भाव हुआ। विकासात्मक मनोविज्ञान के अन्तर्गत मनोवैज्ञानिक मानव विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन गर्भाधान के समय से लेकर मृत्युपर्यन्त तक करता है। गभाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त क्या-क्या परिवतन एव विकास मानव में परिलक्षित होता है उसका सम्यक् अध्ययन विकासात्मक मनोविज्ञान की विषयवस्तु है। चूकि विकास मनोविज्ञान अस्त्यात्मक विज्ञान है इसलिए उसमें बालक का अध्ययन जैसा वह रहता है उसी रूप में करता है। उसका कोई भी व्यवहार अच्छा या बुरा नहीं समझा जाता है तथा उसका जो विकास होता है क्रम से, नियमित रूप से तथा सर्वांगीण होता है। गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त कई अवस्थाओं से गुजरता हुआ बालक के अन्दर शारीरिक क्रियात्मक, सवेगात्मक, सज्ञानात्मक, नैतिक, बौद्धिक, प्रात्याकि इत्यादि का विकास गुणात्मक रूप में होता रहता है। इन सभी पक्षों का अध्ययन विकासात्मक मनोविज्ञान करता है। अस्तु हरलॉक (1968) के शब्दों में विकास मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त होने वाले मानव के विकास का जीवन के विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनो पर विशेष ध्यान देते हुए अध्ययन करती है।
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