Gorakh Nath And Unaka Yug |
Gorakh Nath And Unaka Yug hindi book download : गोरखनाथ और उनका युग के बारे में और अधिक जानकारी
गोरखनाथ को समझने के लिए आवश्यक है कि उनके पूर्व और उत्तरकाल की एक स्पष्ट रेखा-चित्राकिनि परिस्थिति को अच्छी तरह समझ लिया जावे। हर्षवर्धन के बाद से लेकर मुसलमानो के आक्रमणो तक का समस्त समय या तो खण्ड रूप से देखा गया है या बहुत ही अस्पष्ट रूप से । वह समय कितना महत्त्व पूर्ण था यह इतनी सरलता से नहीं कहा जा सकता । जिस प्रकार तुलसी के विषय मे जानकारी हासिल करने के लिए तत्कालीन राज्य व्यवस्था, राजनीति, धर्म तथा दर्शन, कला तथा अन्य विषयो का ज्ञान आवश्यक है, इसी प्रकार गोरक्ष के विषय मे भी आवश्यक हो जाता है । हर्ष चरित्र वास्तव मे प्राय उन 500 वर्षों का इतिहास है, या कहा जा सकता है कि उन 500 वर्षों का इतिहास गोरक्षनाथ के ही माध्यम से देखा जा सकता है। विद्वानो ने गोरक्षनाथ पर दृष्टिपात किया भी तो उन्हे उनका महत्त्वपूर्ण स्थान नहीं दिया, इसी से इतिहास भी शृखला बद्ध नहीं हो सका। मध्य युग के सधिकाल में गोरक्ष को इतना महत्व देने का कारण है कि हमे उनके विषय मे प्राय न्यून-सी जानकारी है। शकर और रामानुज के विषय मे काफी ज्ञान है । इतिहास ने गोरख को भुला दिया। यह ठीक है या नही, इत्यादि प्रश्नों के विषय मे आगे विचार किया गया है। मैने यहाँ गोरक्ष के माध्यम से समस्त युग को मापने का विचार किया है अथवा यह कहना ठीक होगा कि समस्त युग के माध्यम से गोरख को नापने के कार्य का भार उठाया है। गोरख चरित्र के साथ मध्य युग का सधिकाल क्यो इस प्रकार सम्मिलित किया गया है इसका उत्तर समस्त पुस्तक मे बिखरा पडा है । भारतीय इतिहास को यूरोपीय इतिहास की भाँति बर्बर, सामन्त तथा पूँजीवादी युग के रूप में विभाजित नही किया जा सकता क्योकि भारत मे वैदिक काल से अब तक सामन्तवाद जीवित है । बहुधा ऐतिहासको से यह भूल हो रही है। यदि एक ओर धार्मिक दृष्टिपात होता है तो दूसरी ओर एकागी विद्वत्ता प्रदर्शन का प्रयत्न या फिर कही प्रति राष्ट्रीयता सत्य को ढंकती है, तो कही विदेशी का विस्मय मात्र । प्रस्तुत पुस्तक इतिहास नही है । यह केवल एक विशेष युग की मुख्य विचारधारा का मनन है। उस काल के धार्मिक आन्दोलन वास्तव मे सामाजिक अथवा राजनैतिक आन्दोलन थे जिनकी नैतिकता दर्शन के सहारे चलती थी। भारतीय संस्कृति जो इतनी बिखरी हुई दिखती है वह उसके राजामो के इतिहास के कारण जो अभी तक इतिहासज्ञो की खोज का विषय रहा है ।
- पुस्तक के लेखक/ Author of Book : रांगेय राघव |Rangey Radhav
- श्रेणी / Categories : भारत, इतिहास,जीवनी
- पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी /hindi
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