Devrshi Narad PDF Download | देवर्षि नारद पीडीएफ डाऊनलोड
भागवझक्तिके प्रधान आचार्य लोक-प्रसिद्ध परम भागवत देवर्षि श्रीनारदका महान् चरित्रवगतके लिये परम आदर्श है । देवर्षि नारद ज्ञानके स्वरूप, भक्ति सागर, परम पुनीत प्रेमके भरडार, दयाके निधान, विद्याके सवाने, आवन्दकी राशि, सदाचारके आधार, सर्वूतोंके सुद्, विश्वके सहज हितकारी, अधिक बया ये समस सद्गुणोंकी खान हैं नारदका चरित्र अपार हैं, उसका पूरा संगठन और प्रकाशन तो असम्भव है, उनके जीवनकी कुछ इनी-गिनी घटनायों और उनके योढ़े-से उपदेशों का यह संग्रह प्रकाशित करनेमें गीता-प्रेसके सज्ञालक अपना बड़ा सौभाग्य समझते हैं। देवर्षि नारद सारे विश्व-श्राणियों के-देवता, मनुष्य, राक्षस सभीके समान आदरणीय और पूजनीय क्यों हैं, इस सम्बन्ध में महाभारतमें एक बड़ा सुन्दर प्रसङ्ग है जिसमें देवपिके पुनीत गुणों और उनके विश्वबन्ध होने के कारणोंका संक्षेप में उल्लेख है। मनुष्य क्सिप्रकारके गुवोंसे सम्पन्न होनेपर जगत्पूज्य होता है, इस बातका पता उक्त प्रसइसे भली भांति लग जाता है, पाठकों के लाभार्य उत्त प्रसङ्ग यहाँ दिया जाता है
एक समय राजा उग्रसेनने भगवान् श्रीकृण्यसे पूछा कि 'हे बासुदेव! नारद जी के गुण-गानसे मनुष्य को दिव्य-झोक सी प्राप्ति होती है, इससे इतना हो मैं समझता हूँ फि नारद सर्व सद्गुणों से सम्पन्न हैं, परन्तु है केशव! आप मुझे बतलाइये कि नारदमें वे गुण कौन-कौन-से हैं ?' इसके उसमें भगवान् बोले कि 'हे राजन् ! नारदके जिन उत्तम गुणोको में मानता हूँ, उन्हें संचेपमें कहता हूँ, आप ध्यान देकर सुनिये ।'
नारदको अपने चरित्रका कभी अभिमान नहीं हुआ कि जो उसके देइको सम्ताप देता। उसका शास्त्रज्ञान और चरित्र सदा ही अस्खलित है इसीसे यह सर्वत्र पूजित होता है ।
पुस्तक का नाम/ Name of Book : Devrshi Narad | देवर्षि नारद
पुस्तक के लेखक/ Author of Book : अज्ञात /unknown
श्रेणी / Categories : जीवनी / Biography,धार्मिक / Religious
पुस्तक की भाषा / Language of Book : संस्कृत | Sanskrit
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 6 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 254
॥ सूचना ॥
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