कहत कबीर - हरिशंकर परसाई | Kahat Kabeer - Harishankar Parsai | Hindi PDF Download
सुखिया सब संसार है खावै और सोवै
दुखिया दास कबीर है जागे और रोवै
इस पुस्तक में मेरे कुछ 'सुनो भई साधो स्तभ सेव..... ५ . स्तभ में सन् १९५८ से दैनिक 'नयी दुनिया', अब 'नवीन दुनिया' जबलपुर, में लिख रहा हू। १६४७ से ही मैं नियमित स्तभ-लेखन कर रहा हू। १६४७ से 'प्रहरी' साप्ताहिक, जबलपुर मे 'अघोर भैरव' के उपनाम से कभी-कभी स्तभ लिखा। फिर 'कल्पना' मे 'और अत में', 'सारिका' मे 'कविरा वडा बाजार में', 'तीसरी आजादी का जाच कमीशन' और तुलसिदास चदन पिसे' तिखे । १६५६-५७ मे 'परिवतन' जबलपुर में 'अरस्तू की चिट्टी' स्तभ लिया। 'करेंट' मे 'माटी कहे कुम्हार से' तथा 'जनयुग' मे 'ये माजरा क्या है' स्तभ लिसे । अभी भी 'सुनो भई साधो' चल रहा है। देशवधु' मे
'पूछिए परसाई से सप्ताहिक स्तभ में पाठको के प्रश्नों के उत्तर देता हू । विपुल सामग्री इन स्तभो की मेरे पास है, जिसमे से बहुत थोडी पुस्तक- रूप में आयी है। इस पुस्तक में सुनो भई साधो' स्तभ के कुछ लेख हैं।
इहैं पाठका ने शुरू से बहुत पसद किया। साहित्य शास्त्रियों ने पहले घीजर इनकी हत्या की पर मैं लिखता गया
न सताइश की तमन्ना न सिला की परवा न सही गर मरे अशआर मे मानी न सही।
तात्कालिक घटना के संदर्भ में लिखे इन स्तमा व्यापक और गर्भीर परियोजना वो पिछले कुछ समय से शास्त्री समझ रहे हैं औौर सौंदयशास्त्र में तरमीम करने की जरूरत भी महसूस की जा रही है। बहरहाल, यह जो हो, पाठरा के हाथ में है।
पुस्तक की सामग्री का चयन और सपादन डॉ० श्यामसुंदर मिश्र ने किया है।
पुस्तक का नाम/ Name of Book : क़हत कबीर | Kahat Kabeer
पुस्तक के लेखक/ Author of Book : हरिशंकर परसाई - Harishankar Parsai
श्रेणी / Categories : साहित्य / Literature,
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 3 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 210
॥ सूचना ॥
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