Shri Goraksh Tantram Book in PDF Download
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... Alakh Niranjan Gorakshanathasya Swaroopam. (Alakh Niranjan is the form of Gorakshanathji.)
"Shri Udayanath Uvach" Satguru Sarv Sarvajnyam Sarv Gyan Nath Tvam. Always Gyananandam Hridayam Sarvagam Prakashanam. .1. Shrutva sarvani tantrani means i.e. ch bhurish. Vidyastrani Sakalani Nath / Phalani Tvatprasadatha.2. Transcendental superiority transcendence guhuy guhyati guhyakam. Yanmahatantram gyatvatvam tanohanam shravanachhukah: 3. Meaning: - Shri Udayanath (Parvati) said- O Satguruji you are always the Nath of all knowledge and the publisher of all proceeds and always the one with knowledge and joyful heart. O Nath, I have heard that by your grace all kinds of practices and all kinds of learning and all kinds of worships result. The best which is better than the best. In order to listen to the monarchy which you know from secret, secret and secret,I'm curious
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श्री गोरक्ष तंत्रम किताब करें पीडीएफ में डाउनलोड
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।। अलख निरंजन गोरक्षनाथस्य स्वरूपम् ।। (अलख निरंजन गोरक्षनाथजी का स्वरूप है । )
“श्री उदयनाथ उवाच” सतगुरु सर्व सर्वज्ञं सर्व ज्ञान नाथ त्वम् । सर्वदा ज्ञानानन्दं हृदयं सर्वागमं प्रकाशकम् । ।१ ।। श्रुत्वा सर्वाणि तन्त्राणि साधनानि च भूरिशः । विद्यास्त्राणि सकलानि नाथ / फलानि त्वत्प्रसादतः ।।२।। श्रेष्ठाति श्रेष्ठो परंज्ञानं गुहय गुहयाति गुह्यकम् । यन्महातन्त्रं ज्ञात्वात्वं तनोऽहं श्रवणोच्छुकः ।।३।। भावार्थ:- श्री उदयनाथ (पार्वती) ने कहा- हे सतगुरुजी आप सर्वदा सर्वश सभी ज्ञान के नाथ हो सभी आगमों के प्रकाशक और सर्वदा ज्ञान और आनंदित हृदयवाले हो । हे नाथ मैंने सुना है कि आपकी ही कृपा से सभी प्रकार की साधनाएं और सभी प्रकार की विद्याएं और सभी प्रकार की उपासनाओं का फल मिलता है। श्रेष्ठ से भी श्रेष्ठ जो परंज्ञान है। गुह्य से भी गुह्य और गुप्त जिस महातंत्र के आप ज्ञाता है उसे सुनने के लिए मैं उत्सुक हूँ।
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
श्री गोरक्ष तंत्रम | Shri Goraksh Tantram | |
योगी विलासनाथ / Yogi Vilasnath | |
Tantra-Mantra |
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