Some Excerpts From the Book Manurbhav Manushy Bano
The Vedas make man 'man'. And he goes beyond the limits of man and makes all beings entitled to his love. The word 'man' means 'matva karmani sivyanti' (Nirukta 3.7). Before doing any action, one should think well that what will be the result of this action? What effect will it have on whom? This karma will cause suffering to the living beings, or this action will benefit the living beings of the ghosts.
If 'man' becomes a real man, then all the trouble from the world will be removed.
Shankaracharya has said, 'Jantoonam Nar Janam Rarelam', it is really rare to get a male body. The Vedas say that you have attained a human birth, become a human being too. Don't just remain possessed of a male body, but also become possessed of a male mind. To become a male mind, we have to consider the mantra of Rigveda 10-53 6 'Tannu Tanvam Rajaso Bhanu Bhanu Bhanvihi' and make a life like that. Not only this, the Vedas say 'Jana ya daityam janam', create godly people. In order to produce a godly person, man himself has to become a god.
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मनुर्भव मनुष्य बनो पुस्तक के कुछ अंश
वेद मनुष्य को 'मनुष्य' बनाता है। और वह मनुष्य की सीमा से भी आगे बढ़कर सम्पूर्ण प्राणिमात्र को अपने प्रेम का अधिकारी बनाता है। 'मनुष्य' शब्द का अर्थ है 'मत्वा कर्माणि सीव्यन्ति' (निरुक्त ३।७) जो विचार कर कर्म करे, अन्धाधुन्ध कर्म न करे। कर्म करने से पूर्व जो अच्छी प्रकार विचारे कि इस कर्म का क्या फल होगा ? किस-किस पर इसका क्या प्रभाव होगा? यह कर्म प्राणियों की पीड़ा का कारण बनेगा, या इस कार्य से भूतों का प्राणियों का हित होगा।
यदि 'मनुष्य' सचमुच मनुष्य बन जाए तो संसार से सारा उपद्रव दूर हो जाय।
शंकराचार्यजी ने कहा है 'जन्तूनां नर जन्म दुर्लभम्' सचमुच नर तन पाना दुर्लभ है । वेद कहता है, मनुष्य जन्म तो तूने प्राप्त कर लिया, मनुष्य भी बन । केवल नर तन धारी ही न रह, नर मन धारी भी बन। नर मन धारी बनने के लिए ऋग्वेद का १०-५३ ६ मंत्र 'तन्नु तन्वं रजसो भानु भन्विहि' मन्त्र पर हमें विचार करना होगा और वैसा जीवन बनाना होगा। इतना ही नहीं वेद कहता है ‘जन या दैत्यं जनम्' देवहितकारी जन को पैदा कर । देवहितकारी जन को पैदा करने के लिए मनुष्य को स्वयं देव बनना पड़ेगा
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Particulars (विवरण) | (आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी) |
मनुर्भव मनुष्य बनो | Manurbhav Manushy Bano PDF | |
पं० सुरेशचन्द्र वेदालंकार / Pt. Sureshchandra Vedalankar | |
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