Saturday, January 30, 2021

सूर साहित्य | Sur Sahitya PDF Download

 

सूर साहित्य | Sur Sahitya

सूर साहित्य | Sur Sahitya PDF Download

सूरदास की जीवनी

जीवन की छोटी-मोटी बातों को सम्हाल कर रखने और उन्हें श्रात्म- कथा का रूप देकर काल की गाँठ में बांधने की परिपाटी हमारे यहाँ प्रचलित नहीं हुई। इसके कई कारण हैं। अन्य देशों के मनीषियों की भाँति ऊपर की चमक-दमक और ऐहिक ऐश्वर्य से भारतीय विचारक प्रसन्न नहीं हुए। वे उन वस्तुओं पर अधिक बल देते रहे जिनका संबध मनुष्य की देह से कम, उसकी मनस्चेतना और आत्मा से अधिक या | क्षण क्षण की बातों का हिसाब देना उन्हे नहीं आया । दूसरे, वे अत्यन्त नम्र थे। वे सभी ऊँचे दर्जे के तत्त्वदर्शी ये जो अपने को महत्व देना जानते ही नहीं थे। हमारे कवियों ने अवतारों की कथा गाई, लोक-जीवन संबंधी महान आदर्शों को सब के सामने रक्खा । वे जिन चरित्रों की कथाये गाया करते ये वे इतने उच्च ये कि उनके निर्माताओं को उनके सामने अपने जीवन की विज्ञप्ति की बात सूझी ही नहीं।

यदि हम सूरदास की जीवनी के लिए कुछ खोज करते हैं तो हमें इन आधारों की शरण लेनी पड़ती है :-

१-आत्मनिवेदन संबंधी पद ।

२-सूरदास के कूट पद ।

३-किंवदंतियों।

४-इतिहासकारों और अन्य समकालीन लेख

उल्लेख ।

 

पुस्तक का नाम/ Name of Book : सूर साहित्य | Sur Sahitya
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
श्रेणी / Categories :  जीवनी / Biography
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 7 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 306


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भारतीय भाषाओँ में विज्ञान लेखन [ राष्ट्रीय विचार गोष्ठी ] | Bhartiya Bhashaon Mein Vigyan Lekhan [ Rashtriya Vichara Goshthi ]

भारतीय भाषाओँ में विज्ञान लेखन [ राष्ट्रीय विचार गोष्ठी ] | Bhartiya Bhashaon Mein Vigyan Lekhan [ Rashtriya Vichara Goshthi ]

 

पुस्तक का नाम/ Name of Book : भारतीय भाषाओँ में विज्ञान लेखन [ राष्ट्रीय विचार गोष्ठी ] | Bhartiya Bhashaon Mein Vigyan Lekhan [ Rashtriya Vichara Goshthi ]
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  अज्ञात - Unknown
श्रेणी / Categories :  Education
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 35 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 295


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Thursday, January 28, 2021

असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

 असुर पराजितों की गाथा pdf | Asur: Parajiton Ki Gatha PDF Download

नंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं। रामायण के उलट, रावणायन की कथा अब तक कभी नहीं कही गई। मगर अब शायद मृतकों और पराजितों के बोलने का वक़्त आ गया है।
रावण को दस शीश वाले व्यक्ति के रूप में क्यों दर्शाया जाता है?

यद्दपि, एक सर्वोच्च खलनायक के रूप में दस शीश तथा भुजाओं वाले रावण से, प्रत्येक भारतीय तथा भारतीय पौराणिक गाथाओं का विद्वान परिचित है। परंतु बहुत कम व्यक्ति ही ऐसे हैं, जो यह जानते हैं कि उसे इस रूप में क्यों दर्शाया जाता है। पारंपरिक भारतीय विवेक तथा प्रज्ञा, व्यक्ति के भावों पर नियंत्रण को महत्त्व देते हैं और बुद्धि को श्रेष्ठ सत्ता के रूप में वर्णित किया जाता है।

महान नरेश महाबलि, रावण को परामर्श देते हैं कि वह क्रोध; अभिमान; ईष्ष्या; प्रसन्नता; उदासी; भय; स्वार्थपरकता; आवेग तथा महत्त्वाकांक्षा जैसे नौ आधारभूत भावों को त्याग कर, केवल बुद्धि को ही प्रश्रय दे, आदर-मान दे। भारतीय आध्यात्मिक गुरूओं ने भी सदैव अपने 'स्व' से ऊपर उठने तथा आत्मा के विकास के लिए, इन भावों को हानिकारक माना है।

परंतु, महाबलि को प्रत्युत्तर देते हुए, रावण तर्क देता है कि इन सभी दस भावों को संपूर्ण रूप से अपना कर ही वह एक संपूर्ण मनुष्य बना है। इस प्रकार पौराणिक गाथाओं में रावण को दस सिरों वाला दर्शाया जाता है, जबकि उसकी बीस भुजाएँ उसकी शक्ति तथा बल का प्रतीक हैं। रावण स्वयं को एक संपूर्ण मनुष्य के प्रतीक के रूप में देखता है; वह स्वयं को किसी भी प्रकार के पवित्र छद्मावरण अथवा सामाजिक व धार्मिक वर्जना में नहीं बाँधता। वह किसी भी साधारण मनुष्य की ही भाँति भला व बुरा है, जैसा कि प्रकृति मनुष्य को बनाना चाहती है। समाज उसके नौ अन्य मुखों पर प्रतिबंध लगाने में असफल रहा, जैसा कि राम के विषय में किया गया है। इस प्रकार राम को ईश्वर के रूप में देखा जा सकता है, परंतु रावण कहीं अधिक संपूर्ण मनुष्य है। हमारे महाकाव्यों ने रावण के दस सिरों को, ऐसे व्यक्ति के प्रतीक के रूप में लिया है, जो अपने अनियंत्रित आवेगों सहित - जीवन के रसास्वादन तथा आलिंगन के लिए प्रस्तुत है - समग्र रूप से।


पुस्तक का नाम/ Name of Book : असुर / Asur: Parajiton Ki Gatha
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :    आनंद नीलकंठन / Anand Neelakantan
श्रेणी / Categories :  धार्मिक
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 5.1 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 444


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Saturday, January 23, 2021

सामवेद हिंदी PDF | Samved in Hindi PDF Download

 सामवेद हिंदी PDF | Samved in Hindi PDF Download

सामवेद हिंदी PDF | Samved in Hindi PDF Download

Samved Hindi Book in PDF Download

Samved PDF HindiSamved Hindi pdf free download, Samved Hindi pdf file  The knowledge described in the Vedas is said to be limited by scholars, yet for the purpose of being understandable to humans, it has been divided into four parts, out of which 'Rigveda' is knowledge-oriented, Yajurveda is action-oriented and 'Samveda'. It is considered to be a form of worship. Although most of the hymns of 'Samveda' are also found in Rigveda, but the main purpose of Samaveda is to collect in one place the hymns of music worthy of worship. In the later Vedic period, Indra, Agni and Soma have special significance and these were the main worship in Mako. In 'Samveda' the best hymns related to these deities are united.

Although the main purpose of 'Samaveda' is to collect musical hymns for the praise of the gods in the sacrifices and through them to infuse the atmosphere there with melody and emotion, but at the same time it also has a high level of spiritual elements, especially are found. These spiritual elements are affected by space and time and through them only man can get the knowledge of the way to attain liberation from the world cycle. After getting the knowledge of Rigveda's Gyan Kand and Yajurveda's rituals, the knowledge of attainment of complete results produced by his long thought comes from Samaveda only. From this point of view, in "Chandogya Upanipad" by the sentence "Samveda and Pushpam", its importance has been told similar to the Puranas of Vedic literature.

By clicking on the link given below, you can download the written book Samved in PDF.

सामवेद पीडीएफ में डाउनलोड

सामवेद इन हिंदी पीडीएफ Download, सामवेद हिंदी PDFसामवेद pdf marathi, अथर्ववेद इन हिंदी पीडीएफ, सामवेद मराठी pdf वेदों में वर्णित ज्ञान को विद्वानों द्वारा सीमित बताया गया है, फिर भी मनुष्य को समझने योग्य बनाने के उद्देश्य से इसे चार भागों में विभाजित किया गया है, जिनमें से 'ऋग्वेद' ज्ञान प्रधान है, यजुर्वेद क्रिया प्रधान है और ' सामवेद'। इसे पूजा का एक रूप माना जाता है। यद्यपि 'सामवेद' के अधिकांश सूक्त ऋग्वेद में भी मिलते हैं, लेकिन सामवेद का मुख्य उद्देश्य पूजा के योग्य संगीत के भजनों को एक स्थान पर एकत्रित करना है। उत्तर वैदिक काल में इंद्र, अग्नि और सोम का विशेष महत्व है और ये माको में मुख्य पूजा थे। 'सामवेद' में इन देवताओं से संबंधित श्रेष्ठतम सूक्तों का संयुक्त रूप है।

यद्यपि सामवेद का मुख्य उद्देश्य यज्ञों में देवताओं की स्तुति के लिए संगीतमय भजनों का संग्रह करना और उनके माध्यम से वहां के वातावरण को राग और भाव से भरना है, लेकिन साथ ही इसमें उच्च स्तर के आध्यात्मिक तत्व भी हैं, विशेष रूप से पाए जाते हैं। ये आध्यात्मिक तत्व स्थान और काल से प्रभावित होते हैं और इनके माध्यम से ही मनुष्य को संसार चक्र से मुक्ति पाने के उपाय का ज्ञान हो सकता है। ऋग्वेद के ज्ञान कांड और यजुर्वेद के कर्मकांडों का ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उनके लंबे विचार से उत्पन्न पूर्ण परिणामों की प्राप्ति का ज्ञान सामवेद से ही आता है। इस दृष्टि से "छन्दोग्य उपनिपाद" में "संवेद और पुष्पम" वाक्य द्वारा इसका महत्व वैदिक साहित्य के पुराणों के समान बताया गया है।

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके, आप लिखित पुस्तक सामवेद हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।


Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

सामवेद हिंदी PDF | Samved in Hindi PDF 

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

श्रीराम शर्मा आचार्य / Shri Ram Sharma Acharya

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  11 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 332

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Ved-Puran



 


 


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Netaji Subhash Chandra Bose His Life And Work | Book PDF Download

Netaji Subhash Chandra Bose His Life And Work | Book PDF Download

Netaji Subhash Chandra Bose His Life And Work  के बारे में अधिक जानकारी :


 Subhas Chandra Bose (23 January 1897 – 18 August 1945) he was an Indian nationalist whose defiant patriotism made him a hero in India, but whose attempt during World War II to rid India of British rule with the help of Nazi Germany and Imperial Japan left a troubled legacy. The honorific Netaji (Hindustani: "Respected Leader"), first applied in early 1942 to Bose in Germany by the Indian soldiers of the Indische Legion and by the German and Indian officials in the Special Bureau for India in Berlin, was later used throughout India.

The life story of Subhash, bristles with endless tales of dauntless heroism and selfless sacrifice. Each and every page of that story, from the occasion of his birth to the present day, unfolds before us a saga which is, to say the least, unique.

One day be bid adieu to his beloved land of birth, a land where most years of his young life were spent in dark prisons crrected by the foreign master. A time came when he could no longer put up with the pangs of slavery and one day, renouncing all-he went away. His sole ambition was to see his motherland free. He wanted to see Indians moving about witch their heads held aloft. No question of any personal gain had ever weighed with him during his colourful career.

In this book an attempt has been made to depict in out line, the life and work of that brave personality. Nume rous books on the subject have already seen the light of the day but it can be rightly claimed that this book contains a considerable amount of hitherto unpublished material. Also, I have taken considerable pains to see that this book does not deteriorate into a mere chronicle of dry facts but becomes a real saga of Subhash Babu's dynamic achievements. I have no doubt that every Indian will find this book a continual source of inspiration.



पुस्तक का नाम/ Name of Book : Netaji Subhash Chandra Bose His Life And Work 
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  unknown
श्रेणी / Categories :  जीवनी / Biography
पुस्तक की भाषा / Language of Book :  English
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 34.7 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 602


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Tuesday, January 19, 2021

ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद | Gyan Yog : Swami Vivekanand


ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद | Gyan Yog : Swami Vivekanand
ज्ञान योग 


ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद | Gyan Yog : Swami Vivekanand के बारे में अधिक जानकारी :

प्रस्तुत पुस्तक का यह द्वितीय संस्करण है । स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेदान्त पर दिए गए भाषणों का संग्रह 'ज्ञानयोग" है । 
इन व्याख्यानों में स्वामीजी ने वेदान्त के गूढ़ तत्त्वों की ऐसे सरल, स्पष्ट और सुन्दर रूप से विवेचना की है कि आजकल के शिक्षित जनसमुदाय को ये खूब जंच जाते है। उन्होंने यह दर्शाया है कि वैयक्तिक तथा सामुदायिक जीवन गठन में वेदान्त किस प्रकार सहायक होता है । 
मनुष्य के विचारों का उच्चतम स्तर वेदान्त है और इसी की ओर संसार की समस्त विचार-धाराएँ शनैः-शनैः प्रवाहित हो रही है। 
अन्त में वे सब वेदान्त में ही लीन होंगी स्वामीजी ने यह भी दर्शाया है कि मनुष्य के देवी स्वरूप पर वेदान्त कितना जोर देता है और किस प्रकार इसी में समस्त विश्व की आशा, कल्याण एवं शान्ति निहित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि वेदान्त तथा भारतीय संस्कृति के प्रेमियों को इस पुस्तक से विशेष लाभ होगा ।

पुस्तक का नाम/ Name of Book : ज्ञान योग | Gyan Yog 
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  स्वामी विवेकांनद | Swami Vivekanand
श्रेणी / Categories :  धार्मिक / Religious, दार्शनिक / Philosophical
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 10.4 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 332


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प्रश्नोपनिषद : हिंदी पीडीएफ डाऊनलोड | Prashnopanishad Hindi PDF Download

  प्रश्नोपनिषद : हिंदी पीडीएफ डाऊनलोड | Prashnopanishad Hindi PDF Download

प्रश्नोपनिषद : हिंदी पीडीएफ डाऊनलोड | Prashnopanishad Hindi PDF Download
Prashna Upanishad (प्रश्नोपनिषद)

 प्रश्नोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। स उपनिषद् के प्रवक्ता आचार्य पिप्पलाद थे जो कदाचित् पीपल के गोदे खाकर जीते थे।

पुस्तक का नाम/ Name of Book : प्रश्नोपनिषद् | Prashnopanishad
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  वेदव्यास - Vedvyas,
श्रेणी / Categories :  धार्मिक / Religious, दार्शनिक / Philosophical,Upnishad
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 4 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 135


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गरुण पुराण पीडीऍफ़ इन हिंदी | Garun Puran PDF in Hindi Free

गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा पीडीऍफ़ इन हिंदी


गरुण पुराण | Garun Puran
गरुण पुराण


Garun Puran Hindi Book in PDF Download

The Garuda Purana has an important place in the Puranas, because first and foremost Lord Vishnu had narrated this 'Garuda Mahapuran', which tells the essence and great meaning of all the scriptures to the God Deveshwar, Lord Rudradev, including Brahma and other gods.

Once, in the context of pilgrimage, Mahatma Sutji, a well-versed in all scriptures, came to Naimiyaranya, there Shaunkadi sages worshiped him and asked some questions in the form of curiosity. In resolving the questions, Sutji narrated the story of Garuda Mahapuran to those sages and sages. Sutji had heard this story from Lord Vyasji, Vyasji received this story from Father Brahma. In fact, originally this Mahapuran was narrated by Gardji to Rishi Kashyap.

In ancient times, Pakshiraj Garud worshiped Lord Vishnu through penance on earth, so that the Lord, being satisfied, asked him to ask for the desired boon. Garuda requested the Lord that the serpents have made my mother Binata a slave. Hey, God! May you be pleased and grant me this boon that I may be able to obtain nectar by winning them and free the mother of the serpents from the bondage of Kadu. May I become your vehicle and be able to destroy the serpents and as the author of the Puranahita. Please do the same.

By clicking on the link given below, you can download the written book Garun Puran in PDF.

Read Also:


गरुण पुराण पीडीएफ में डाउनलोड करे 

पुराणों में गरुड़ पुराण का महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि सर्वप्रथम पर ब्रह्म परमात्मा प्रभु साक्षात् भगवान विष्णु ने ब्रह्मादि देवताओंसहित देव देवेश्वर भगवान् रुद्रदेवको सभी शास्त्रोंमें सारभूत तथा महान् अर्थ बताने वाले इस 'गरुडमहापुराण'को सुनाया था।

एक बार तीर्थ यात्रा के प्रसंग में सर्व शास्त्र पारंगत शान्तचित्त महात्मा सूतजी नैमियारण्यमें पधारे, वहाँ शौनकादि ऋषि- मुनियोंने उनकी पूजा की और जिज्ञासारूपमें कुछ प्रश्न भी किये। प्रश्नोंके समाधानमें सूतजीने गरुडमहापुराणको कथा उन ऋषि-महर्षियोंको सुनायी। सूतजी ने यह कथा भगवान् व्यासजीसे सुनी थी, व्यासजीको यह कथा पितामह ब्रह्मासे प्राप्त हुई। वास्तवमें मूलरूपसे इस महापुराणको गरडजीने कश्यप ऋषिको सुनाया था।

प्राचीनकालमें पृथ्वोपर पक्षिराज गरुडने तपस्याके द्वारा भगवान् विष्णुको आराधना की, जिससे संतुष्ट होकर प्रभुने अभीष्ट वर माँगनेके लिये कहा। गरुड़ने भगवान्मे निवेदन किया कि नागोंने मेरी माता बिनताको दासी बना लिया है। हे देव! आप प्रसन्न होकर मुझे यह वरदान प्रदान करें कि मैं उनको जीतकर अमृत प्राप्त करने में समर्थ हो सके और माँको नागोंकी माता कदुको दासतासे मुक्त करा सक। मैं आपका वाहन बने और नागोंको विदीर्ण करने में समर्थ हो सक तथा जिस प्रकार पुराणहिताका रचनाकार हो सकूँ. वैसा ही करने की कृपा करें।

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Particulars

(विवरण)


 eBook Details (Size, Writer, Lang. Pages

(आकार, लेखक, भाषा,पृष्ठ की जानकारी)

 पुस्तक का नाम (Name of Book) 

गरुण पुराण | Garun Puran

 पुस्तक का लेखक (Name of Author) 

वेदव्यास / Vedvyas

 पुस्तक की भाषा (Language of Book)

 हिंदी (Hindi) 

 पुस्तक का आकार (Size of Book)

  30 MB

  कुल पृष्ठ (Total pages )

 266

 पुस्तक की श्रेणी (Category of Book)

Ved-Puran


 

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Monday, January 18, 2021

महाराज श्रेणिक और श्रमण भगवान महावीर | Maharaj Shrenik Or Shraman Bhagawan Mahaveer | Hindi PDF Download

महाराज श्रेणिक और श्रमण भगवान महावीर | Maharaj Shrenik Or Shraman Bhagawan Mahaveer | Hindi PDF Download
महाराज श्रेणिक और श्रमण भगवान महावीर 

 Raja Shrenik and Mahavir Swami Original story  -

श्रेणिक महाराज और श्रमण भगवान महावीर

श्रमण भगवान महावीर वर्तमान चौबीसी के अन्तिम चौबीसवें तीर्थंकर और श्रेणिक महाराज भावी चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभ को कोटिश वन्दन। महावीर के अरिहन्त काल में राजगृह नगर के महाराज शिशुनागवंशीय प्रसन्नजीत का शासन काल था । महाराज वैभवशाली शुभ लक्षणों से युक्त शरीर और देदीप्यमान यश का धारण करनेवाला, अत्यन्त ज्ञानवान, कल्पवृक्ष के समान दानी, चन्द्रमा के समान तेजस्वी, सूर्य के समान प्रतापी, इन्द्र के समान परम ऐश्वर्यशाली, कुबेर के समान धनी और समुद्र के समान गम्भीर था। इसके अतिरिक्त वह त्यागी था, भोगी था, मुखी था, धर्मात्मा व चतुर शूर और निर्भय था। महाराज ने चिरकाल पर्यन्त भोग किया, समस्त पृथ्वी को उपद्रवों से रहित कर दिया। भव्य जीवों को धर्म की कृपा से राज्य सम्पदा की प्राप्ती और धर्म पुण्य से उत्तमोतम स्त्रियों और आज्ञाकारी अत्तम पुत्र भी मिलते हैं।
दोनों राजा-रानी के पुण्य उदय से महान ऋद्विधारक श्रेणिक नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। कुमार श्रेणिक में सर्वोत्तम गुण थे, उसका रूप शुभ था और अतिशय अत्यन्त निर्मल था। कुमार श्रेणिक के कामिनी स्त्रियों के मन को लुभाने वाले थे।
कुमार थेणिक जन्म से पहले की थोड़ी से दृष्टि डाले कि किसी का उपहास करना और उपेक्षा कर अपनी वचनबद्धता को विस्मृत हो जाना अन्याय से दुःखी आत्मा क्या रुप धारण करती है।


पुस्तक का नाम/ Name of Book : महाराज श्रेणिक और श्रमण भगवान महावीर | Maharaj Shrenik Or Shraman Bhagawan Mahaveer
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  स्वतन्त्र जैन - Swatantra Jain,
श्रेणी / Categories :  धार्मिक / Religious,
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi 
पुस्तक का साइज़ / Size of Book :  151KB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 36


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Friday, January 15, 2021

आदि ब्रह्मपुराण भाषा | Aadi Brahmapuran Hindi PDF Download

आदि ब्रह्मपुराण भाषा | Aadi Brahmapuran Hindi PDF Download

 श्री भगवान् वेदव्यास जी ने संसारी जीवों को संसार सागर से उत्तीर्ण होने के लिये नौकारूपी अष्टादशपुराण व बहुत से उपपुराण विरचित किये-उनमें से एक यह  आदि ब्रह्मपुराण भाषा भी है ॥

इस पुराण में ब्रह्मा से लेकर सम्पूर्ण सुर, असुर, म- नुष्य, पशु, पक्षी,कीट,पतङ्गादि चौरासी योनियों की उत्पत्ति व सम्पूर्ण अण्डकोशान्तर्गत नदी, नद, पर्वत,वन, उपवनादिकों का विस्तार वर्णनकियागया है जिसेपढ़ कर मनुष्य इस विधाता की अपरम्पार सृष्टि का वृत्त सहजमें समझने लगता है ।

ऐसा लाभकारी ग्रन्थ अबतक संस्कृत में होने के का रण से भाषा मात्र के पठन पाठन कुत्ता पुरुष अच्छे प्रकार इसके अभ्यन्तर को न जान सक्ते थे इसलिये सम्पूर्ण भारतेतिहासाकां्षि पुरुषोंके अवलोकनार्थ व बुद्धिबो- धार्थ सन्तत धर्म धुरीए श्रीमान् मुन्शीनवलकिशोरजी ने बहुत साधन व्यय करके रोहतक प्रदेशान्तर्गत बेरी - ग्रामनिवासि पण्डित रविदत्तजीकेद्वारा संस्कृत से भाषा में प्रतिश्लोक का उल्थाकराकर स्वयंत्रालय में मुद्रित कराय प्रकाशितकिया-आशाहै कि जो महात्मा विद्वान् इसका अवलोकन करेंगे प्रसन्नता पूर्वक ग्रहण करेंगे। इसके सिवाय इस छापेखाने में और भी बहुत वि- षय की पुस्तकें संस्कृत से भाषामें उल्थाहोकर मुद्रित हुई है।


पुस्तक का नाम/ Name of Book : आदि ब्रह्मपुराण भाषा | Aadi Brahmapuran
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  वेदव्यास - Vedvyas
श्रेणी / Categories :  धार्मिक / Religious, Ved - Puran
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi /Sanskrit
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 43 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 700


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Taittiriya Upanishad (तैत्तिरीयोपनिषद)Gita Press pdf Download

Taittiriya Upanishad (तैत्तिरीयोपनिषद)Gita Press pdf Download
तैत्तिरीयोपनिषद

 तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में से एक है। यह शिक्षावल्ली, ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है - कुल ५३ मंत्र हैं जो ४० अनुवाकों में व्यवस्थित है। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या विद्या भी कहते हैं। तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है।


पुस्तक का नाम/ Name of Book : Taittiriya Upanishad (तैत्तिरीयोपनिषद)
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  वेदव्यास - Vedvyas
श्रेणी / Categories :  धार्मिक / Religious, Upnishad
पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 5 MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 242


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Tuesday, January 12, 2021

Historical Geography of india Book PDF by Bimala Churn Law

Historical geography of ancient India PDF Download by Bimala Churn Law
historical geography of India pdf 

the geological and geographical features of the Himalayas and certain regions in India. It mentions three zones of the Himalayas: the Tibetan zone, the Himalayan zone, and the Sub-Himalayan zone, each characterized by different types of rocks and geological formations.
The passage also highlights the presence of fossiliferous beds in the Tibetan zone, composed of Palaeozoic and Mesozoic age rocks. The Himalayan zone is primarily made up of crystalline and metamorphic rocks, while the Sub-Himalayan zone consists of tertiary beds.

It further mentions the varying altitudes at which glaciers can be found in different parts of the Himalayas, ranging from around 8,000 feet in Kashmere to 16,500 feet near Mount Everest. The passage acknowledges the rich plant and animal life in the Himalayan region, including the presence of European flora, diverse bird species, beautiful butterflies, and various reptiles and amphibians.

The Himalayan system is noted for its significance in shaping the destiny of India. It acts as a natural barrier, separating India from other parts of Asia. The passage mentions the existence of passes in the north that facilitate trade between India and Tibet, as well as other routes leading to Burma in the northeast.

Additionally, the passage briefly touches upon the geographical features of the forest-clad hills running obliquely along the west of India, dividing the country into the Indo-Gangetic basin in the north and the Deccan tableland in the south. It mentions different mountain ranges such as the Vindhyas, Satpura, Aravalli, and others, along with notable peaks like Mount Girnar and Mount Abu.

Overall, the passage provides a glimpse into the geological and geographical characteristics of the Himalayas and certain regions in India.

पुस्तक का नाम/ Name of Book : Historical geography of ancient India 
पुस्तक के लेखक/ Author of Book :  Bimala Churn Law
श्रेणी / Categories :  इतिहास / History, Ancient India 
पुस्तक की भाषा / Language of Book : English
पुस्तक का साइज़ / Size of Book : 194.6MB
कुल पृष्ठ /Total Pages : 361


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